भारत में दूध देखी गई सबसे बड़ी कृषि उपज है और यही कारण है कि डेयरी उद्योग हर साल तेज़ी से बढ़ रहा है। अगर आप जानना चाहते हैं कि इस बाजार में कितना पैसा घूम रहा है, कौन‑क्या खेल रहा है और भविष्य में क्या संभावनाएँ हैं, तो आगे पढ़िए।
2023‑24 में भारत ने लगभग 210 मिलियन टन दूध का उत्पादन किया, जो विश्व का सबसे बड़ा दूध उत्पादन है। वार्षिक वृद्धि दर लगभग 4‑5 % रही, और अधिकतम उत्पादन उत्तर प्रदेश, पंजाब और महाराष्ट्र में केंद्रित है। प्रति व्यक्ति दूध की खपत 400 ml से ऊपर पहुँच चुकी है, जबकि 1990‑1991 में यह सिर्फ 200 ml था।
दूध के प्रसंस्करण और पैकेज्ड उत्पादों में अमूल, वैली फ़ार्म, एर्गो पेट, स्वर्णा और कोटक फ़ार्म जैसे नाम प्रमुख हैं। इनकों ने ब्रांडिंग, फ्रैंचाइज़ और ग्रामीण कूलिंग नेटवर्क में भारी निवेश करके ग्रामीण किसानों को सीधे अपनी फ़ार्मों से जोड़ दिया है। परिणामस्वरूप सप्लाई चेन कम लागत पर चलती है और उपभोक्ताओं को ताजा उत्पाद मिलते हैं।
उभरते ब्रांड, जैसे क्रीमेटा और स्वर, योगर्ट, मिल्कशेक व प्रोबायोटिक ड्रिंक्स जैसी वैरायटी लाँच कर रहे हैं। यह दर्शाता है कि भारतीय उपभोक्ता अब सिर्फ मीठे दूध से नहीं, बल्कि हेल्थ‑फ़ोकस्ड उत्पादों से भी जुड़ना चाहते हैं।
डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म भी इस उद्योग में बदलाव ला रहे हैं। कई फ़ार्म “डूडल” ऐप या “नैवाला” जैसी सेवाओं के माध्यम से सीधे किसान से उपभोक्ता तक मिलते हैं, जिससे मध्यस्थों की मार्जिन घटती है। इस मॉडल ने छोटे स्तर के डेयरी उद्यमियों को बड़े शहरों में अपने उत्पाद बेचने का मौका दिया है।
बाजार के सामने सबसे बड़ी चुनौती फ्रीजिंग और लॉजिस्टिक्स है। भारत के कई ग्रामीण इलाकों में बुनियादी बिजली सप्लाई अस्थिर है, जिससे कच्चे दूध का नुकसान बढ़ता है। सरकार और निजी कंपनियां मिलकर कूलर‑डायरेक्ट मॉडल, मोबाइल ठंडा ट्रक और सौर ऊर्जा‑चलित कूलिंग यूनिट्स स्थापित कर रहे हैं, जो इस समस्या को कुछ हद तक हल कर रहे हैं।
दूध की कीमत में अस्थिरता भी एक बड़ा मुद्दा है। जब कीमतें गिरती हैं, तो किसान आय घटाते हैं और जब बढ़ती हैं, तो उपभोक्ताओं को महंगाई का असर पड़ता है। इस पर कई राज्यों ने न्यूनतम मानक कीमत लागू की है और साथ ही बाजार‑आधारित प्राइसिंग मॉडल को प्रोत्साहित किया है।
निर्यात की बात करें तो भारत का डेयरी निर्यात मुख्यतः पाउडर, घी और पनीर पर केंद्रित है। 2022‑23 में निर्यात में 12 % की बढ़ोतरी देखी गई, प्रमुख बाजारों में इज़राइल, सऊदी अरब और यूएसए शामिल हैं। गुणवत्ता मानकों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मिलाने के लिए फ्रॉशनेस, एंटी‑माइक्रोबियल पैकेजिंग और HACCP सर्टिफ़िकेशन पर धांसू फोकस किया जा रहा है।
सारांश में, भारतीय डेयरी बाजार तेज़ी से बढ़ रहा है, लेकिन इसे स्थायी बनाए रखने के लिए तकनीकी सुधार, कूलिंग इंफ़्रास्ट्रक्चर और प्राइस स्थिरता जरूरी है। यदि आप निवेश या करियर की सोच रहे हैं, तो प्रोसेस्ड डेयरी उत्पाद, वैरायटी लॉन्च और डिजिटल कनेक्शन वाले क्षेत्रों में अवसर सबसे ज्यादा दिखते हैं।