आपके घर में रोज़ दही और पनीर का ट्रेंड बढ़ रहा है, लेकिन कीमतें कभी‑कभी उलझन पैदा कर देती हैं। आज हम बता रहे हैं कि इस साल दही और पनीर की दरें कैसे बदल रही हैं और आपको किन बातों पर ध्यान देना चाहिए ताकि पैसे बच सकें।
सबसे पहला कारण है स्थान। मुंबई, दिल्ली जैसे बड़े शहरों में क़ीमतें छोटे शहरों की तुलना में 20‑30 प्रतिशत अधिक होती हैं। दूसरा है संकुचन अवधि – गर्मियों में दूध की कमी से दही की कीमत बढ़ती है, जबकि सर्दियों में पनीर की मांग बढ़ने से उसका भाव उठ सकता है।
तीसरा कारक है ब्रांड और पैकेजिंग। पारंपरिक दही पटरी पर बिना पैकेजिंग के सस्ता रहता है, पर ब्रांडेड, पौष्टिक या प्रोबायोटिक दही की कीमत अधिक होती है। वही बात पनीर की भी लागू होती है – छोटे कढ़ी वाले पनीर की कीमत सस्ता, लेकिन फॉर्म्ड या फ्लेवर्ड पनीर महंगे होते हैं।
चौथा है खरीदारी का तरीका। स्थानीय मंडी या किराना स्टोर से सीधे खरीदने पर कम खर्च आता है, जबकि ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म या बड़े सुपरमार्केट से अक्सर अतिरिक्त डिलीवरी या पॅकेजिंग फ़ी चढ़ता है।
पहला टिप: ऑफ़‑सीज़न में खरीदें। जब दूध की सप्लाई अधिक हो, दही सस्ता मिल जाता है। उसी तरह सर्दियों में पनीर का स्टॉक बढ़ जाता है, तो कीमत घटती है।
दूसरा: बड़े पैक में खरीदें और फ्रीज़र में स्टोर करें। दही को 4‑5 दिन तक फ्रिज में रखें, पनीर को दो‑तीन हफ़्ते तक फ्रीज़र में सुरक्षित रख सकते हैं। इससे बार‑बार खरीदने की ज़रूरत नहीं पड़ती।
तीसरा: स्थानीय दालानों या डेयरी काउंटर से सीधे पूछें। अक्सर वे आपके लिए अनफ़ॉर्मल दरें दे देते हैं, खासकर अगर आप नियमित ग्राहक हों।
चौथा: ऑनलाइन डिस्काउंट कोड और कैशबैक ऐप्स का इस्तेमाल करें। कई बार ई‑कॉमर्स साइट्स पर 10‑15% छूट मिल जाती है, जिससे कुल खर्च कम हो जाता है।
पाँचवा: ब्रांड बदलें लेकिन क्वालिटी पे समझौता न करें। कई लोकल ब्रांड्स अपने प्रोडक्ट की कीमत में बड़े ब्रांड्स के बराबर रखते हैं, पर फ़ॉर्मूला अलग होता है जिससे कीमत कम रहती है।
इन टिप्स को अपनाकर आप दही और पनीर दोनों को निरंतर, ताज़ा और किफायती रख सकते हैं। याद रखें, कीमतें हर दिन बदलती हैं, इसलिए एक हफ़्ते में एक बार अपना स्थानीय मार्केट चेक करना मददगार होता है। अब आप तैयार हैं, सही कीमत पर दही और पनीर का आनंद लेने के लिए!