जब आप अपना लोगो, नाम या स्लोगन बनाते हैं, तो आप चाहते हैं कि कोई और उसे अपनी चीज़ बना न ले। ठीक वही काम ट्रेडमार्क करता है। यह एक कानूनी अधिकार है जो आपके व्यापारिक संकेत को दूसरों से बचाता है। भारत में ट्रेडमार्क का अधिकार ट्रेडमार्क अधिनियम 1999 के तहत मिलता है।
ट्रेडमार्क केवल बड़े ब्रांड के लिए नहीं, छोटे स्टार्ट‑अप, स्थानीय दुकान और फ्रीलांसर भी इसका उपयोग कर सकते हैं। सही समय पर ट्रेडमार्क रजिस्टर करने से भविष्य में कानूनी झंझट से बचा जा सकता है।
पंजीकरण प्रक्रिया पाँच आसान चरणों में बाँटी जा सकती है। सबसे पहले, अपने चुने हुए चिन्ह की प्राथमिक खोज (सर्च) करें कि कहीं वही या मिलते‑जुलते चिन्ह पहले से पंजीकृत तो नहीं है। यह आप इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी इंडिया (IPIndia) की साइट पर कर सकते हैं।
दूसरा कदम – फॉर्म भरना। फॉर्म TM‑A (इलेक्ट्रॉनिक) का प्रयोग करके अपने ट्रेडमार्क की details, वर्ग (Class) और उपयोग का विवरण दें। सही वर्ग चुनना ज़रूरी है, क्योंकि हर सामान या सेवा का अलग‑अलग वर्ग होता है।
तीसरा चरण – फीस जमा करना। ऑनलाइन पेमेंट के बाद, आपका आवेदन प्रोसेसिंग के लिए ट्रेडमार्क रजिस्ट्रार को भेज दिया जाएगा।
चौथा चरण – सुधार (ऑब्जेक्शन) का जवाब देना। कभी‑कभी रजिस्ट्रार कुछ आपत्ति उठाता है, जैसे समान चिन्ह मौजूद होना। ऐसे में आपको विवरण या बदलावों के साथ जवाब देना होगा।
पाँचवाँ और अंतिम चरण – पंजीकरण सर्टिफ़िकेट प्राप्त करना। जब सब ठीक हो जाता है, तो आपको 10 साल के लिए ट्रेडमार्क का सर्टिफ़िकेट मिलेगा, जिसे आप हर पाँच साल में नवीनीकरण कर सकते हैं।
ट्रेडमार्क का सबसे बड़ा फायदा है legal protection। अगर कोई आपके चिन्ह को बिना अनुमति इस्तेमाल करता है, तो आप कोर्ट में जा सकते हैं और नुकसान की भरपाई मांग सकते हैं। साथ ही, यह आपके ब्रांड की पहचान को मजबूत बनाता है, जिससे ग्राहक भरोसा महसूस करते हैं।
एक और फायदा है market exclusivity – वही आप अपने वर्ग में केवल खुद ही इस्तेमाल कर सकते हैं। इससे प्रतिस्पर्धियों को आपके समान पदनाम या लोगो का प्रयोग करने से रोका जाता है।
आम गलती यह होती है कि लोग ट्रेडमार्क को सिर्फ फिज़िकल प्रोडक्ट से जोड़ते हैं और डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर इस्तेमाल को भूल जाते हैं। आज के ऑनलाइन बिज़नेस में वेबसाइट डोमेन, ऐप के आइकन, सोशल मीडिया हैंडल भी ट्रेडमार्क के तहत सुरक्षित हो सकते हैं।
दूसरी गलती है देर से पंजीकरण। कई बार स्टार्ट‑अप जल्दी में अल्प रचनात्मक चिन्ह पर काम कर लेते हैं और बाद में वह ट्रेडमार्क के conflict में फँस जाता है। इसलिए शुरुआती ही सर्च और पंजीकरण कर लेना बेहतर रहता है।
अंत में, याद रखें कि ट्रेडमार्क एक जीवनभर चलने वाला अधिकार नहीं, बल्कि नवीनीकरण पर निर्भर करता है। हर 10 साल में रिन्यू करने से आपका अधिकार बरकरार रहता है। सही देखभाल और समय पर नवीनीकरण से आप लंबे समय तक अपनी पहचान सुरक्षित रख सकते हैं।