मेगी

दोस्तो याद रखना क्रांतिकारी मंगलपांडे को ! जिसने आजादी की पहली गोली गौ माता की रक्षा के लिए चलाई थी ! और अंग्रेज़ मेजर हयूसन को उड़ा दिया था ! और फिर उनको फांसी हुई !

हमारे क्रांतिवीर गौ माता के रक्षा के लिए फांसी पर चढ़े है !!

और आप गौ माता की रक्षा के लिए इस विदेशी कंपनी nestle से समान खरीदना बंद नहीं कर सकते ???

याद रखो ये वही विदेशी कंपनी nestle है ! जो अपनी चाकलेट kitkat मे गाय के बछड़े के मांस का रस मिलती है !!

विश्वास न हो तो यहाँ click कर देखे !

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वन्देमातरम
जय गौ माता !! —

udham singh 31 july

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मित्रो सन 1919 को एक करूर अंग्रेज़ अधिकारी भारत मे आया था जिसका नाम था डायर ! अमृतसर मे उसकी पोस्टिंग की गई थी और उसने एक रोलेट एक्ट नाम का कानून बनाया जिसमे नागरिकों के मूल अधिकार खत्म होने वाले थे ! और नागरिकों की जो थोड़ी बहुत बची कूची आजादी थी वो भी अंग्रेज़ो के पास जाने वाली थी !

इस रोलेट एक्ट का विरोध करने के लिए 13 अप्रैल 1919 को अमृतसर के जलियाँवाला बाग मे एक बड़ी सभा आयोजित की गई थी ! जिसमे 25000 लोग शामिल हुए थे ! उस बड़ी सभा मे डायर ने अंधाधुंध गोलियां चलवायी थी ! अगर आप मे से किसी ने पुलिस या सेना मे नोकरी की हो तो आप अंदाजा लगा सकते हैं ! 15 मिनट के अंदर 1650 राउंड गोलियां चलवाई थी डायर ने ! और 3000 क्रांतिकारी वहीं तड़प तड़प के मर गए थे !

आप मे से किसी ने जलियाँवाला बाग देखा हो तो वहाँ अंदर जाने और बाहर आने के लिए एक ही दरवाजा है वो भी चार दीवारी से घिरा हुआ है और दरवाजा भी मुश्किल से 4 से 5 फुट चोड़ा है ! उस दरवाजे के बाहर डायर ने तोप लगवा दी थी ताकि कोई निकल के बाहर न जा पाये ! और अंदर उसके दो कुएं है जिसको अंधा कुंआ के नाम से जाना जाता है ! 1650 राउंड गोलियां जब चलायी गई ! जो लोग गोलियों के शिकार हुये वो तो वही शहीद हो गए और जो बच गए उन्होने ने जान बचाने के लिए कुएं मे छलांग लगा दी और कुंआ लाशों से भर गया !

और 15 मिनट तक गोलियां चलाते हुए डायर वहाँ से हँसते हुए चला गया और जाते हुये अमृतसर की सड्को पर जो उसे लोग मिले उन्हे गोलियां मार कर तोप के पीछे बांध कर घसीटता गया ! इसके लिए उसे अँग्रेजी संसद से ईनाम मिला था उसका प्रमोशन कर दिया गया था और उसको भारत से लंदन भेज दिया गया था और बड़े ओहदे पर !

उधम सिंह उस वक्त 11 साल के थे और ये ह्त्याकांड उन्होने अपनी आंखो से देखा था ! और उन्होने संकल्प लिया था संकल्प ये था जिस तरह डायर ने मेरे देश वासियो को इतनी क्रूरता से मारा हैं इस डायर को मैं जिंदा नहीं छोड़ूँगा ! यही मेरी ज़िंदगी का आखिरी संकल्प हैं ! आपको एक और बात मालूम होगी उधम सिंह की वह घर से गरीब थे माता पिता का साया उनसे उठ चुका था आनाथ आश्रम मे पल कर बड़े हुये थे ! बड़े भाई थे उनकी मौत हो चुकी थी किसी बीमारी से !

अब आर्थिक हालत अच्छे नहीं थे संकल्प ले लिया था डायर को मारने का ! उसके लिए योजना बनाई लंदन जाने की ! उसके लिए पैसे नहीं थे ! तो उन्होने सोचा मैं किसी आगे हाथ फैलाऊँ इससे अच्छा खुद मेहनत-मजदूरी करूँ ! फिर उन्होने carpenter (लकड़ी का काम किया) ! और कुछ पैसे कमा अमेरिका गए अमेरिका से फिर लंदन गए ! लंदन जाकर फिर किसी होटल मे नोकरी की पानी पिलाने की ताकि कुछ पैसे इकठे हो और उससे बंदूक खरीदी जा सके !

और ये सब काम करते करते शहीदे आजम उधम सिंह को 21 साल लग गए पूरे 21 साल ! 1919 मे जलियाँवाला बाग हत्याकांड हुआ था और 1940 मे पूरे 21 साल बाद उन्होने अपना संकल्प पूरा किया 21 साल तक वो मेहनत करते रहे,इधर उधर भागते रहे ,जिंदा रहे सिर्फ अपना संकल्प पूरा करने ले लिए !

अंत 1940 मे Caxton Hall एक जगह है लंदन मे वहाँ डायर को सम्मान दिया जा रहा था मालाएँ आदि पहनाई जा रही थी उधम सिंह वहाँ पहुंचे थे और अपने साथ लाई किताब मे छिपी बंदूक निकाल एक साथ 3 गोलियां डायर के सीने मे उतार दी ! 3 गोलियां मार कर एक ही वाकय कहा था कि आज मैंने 21 साल पहले लिया अपना संकल्प पूरा कर लिया है ! और मैं अब इसके बाद एक मिनट जिंदा नहीं रहना चाहता ! तो जब उन्होने बंदूक अंग्रेज़ अधिकारी को सोंपी तो अंग्रेज़ अधिकारी के हाथ कांप रहे थे ! उसको लग रहा था कहीं मुझे भी न मार दे ! तो उधम सिंह ने कहा घबराओ मत मेरे तुमसे कोई दुश्मनी नहीं है मेरी तो डायर से दुश्मनी थी जिसने मेरे देश के 3000 बेकसूर लोगो को तड़पा -तड़पा कर मारा था !

तो मित्रो हमारे क्रांतिकारियों का इतना ऊंचा आदर्श था जो संकल्प लिया है उसी की पूर्ति के लिए जीवन लगा देना है उसके लिए बेशक 10 साल लगे 15 साल लगे ! 20 लगे 21 साल लगे ! ये प्रेरणा हम सबको शहीदे आजम उधम सिंह के जीवन से लेनी चाहिए ! माँ भारती के इस पुत्र को दिल से सलाम !

वन्देमातरम !

आपने पूरी post पढ़ी बहुत बहुत धन्यवाद !!

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अमर शहीद राजीव दीक्षित जी की जय !

AMWAY

ये देखो एक और विदेशी कंपनी amway का सच !
कुछ लोगो ये भ्रम है नहीं जी नहीं amway के उत्पाद अच्छे है !!

मित्रो इन कंपनियो को सिर्फ आपको मूर्ख बना जहर ही बेचना है ! ताकि आपका
लीवर किडनी खराब हो सके ! और जब आप इलाज करवाए ! तो इनही विदेशी दवा
कंपनियो को मुनाफा हो !

must click

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देशी गाय का दूध !

कहीं आप विदेशी जर्सी गाय का दूध तो नहीं ए\पी रहें ??
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कृप्या बिना पूरी post पढ़ें ऐसी कोई प्रतिक्रिया ना दें ! कि अरे तुमने गाय मे भी स्वदेशी -विदेशी कर दिया ! अरे गाय तो माँ होती है तुमने माँ को भी अच्छी बुरी कर दिया !! लेकिन मित्रो सच यही है की ये जर्सी गाय नहीं ये पूतना है ! पूतना की कहानी तो आपने सुनी होगी भगवान कृष्ण को दूध पिलाकर मारने आई थी वही है ये जर्सी गाय !!

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सबसे पहले आप ये जान लीजिये की स्वदेशी गाय और विदेशी जर्सी गाय (सूअर ) की पहचान क्या है ? देशी और विदेशी गाय को पहचाने की जो बड़ी निशानी है वो ये की देशी गाय की पीठ पर मोटा सा हम्प होता है जबकि जर्सी गाय की पीठ समतल होती है ! आपको जानकर हैरानी होगी दुनिया मे भारत को छोड़ जर्सी गाय का दूध को नहीं पीता ! जर्सी गाय सबसे ज्यादा डैनमार्क ,न्यूजीलैंड , आदि देशो मे पायी जाती है ! डैनमार्क मे तो कुल लोगो की आबादी से ज्यादा गाय है ! और आपको ये जानकार हैरानी होगी की डैनमार्क वाले दूध ही नहीं पीते ! क्यों नहीं पीते ? क्योंकि कैंसर होने की संभवना है ,घुटनो कर दर्द होना तो आम बात है ! मधुमेह (शुगर होने का बहुत बड़ा कारण है ये जर्सी गाय का दूध ! डैनमार्क वाले चाय भी बिना दूध की पीते है ! डैनमार्क की सरकार तो दूध ज्यादा होने पर समुद्र मे फेंकवा देती है वहाँ एक line बहुत प्रचलित है
! milk is a white poison !

और जैसा की आप जानते है भारत मे 36000 कत्लखानों मे हर साल 2 करोड़ 50 गाय काटी जाती है और जो 72 लाख मीट्रिक टन मांस का उत्पन होता है वो सबसे ज्यादा अमेरिका और उसके बाद यूरोप और फिर अरब देशों मे भेजा जाता है ! आपके मन मे स्वाल आएगा की ये अमेरिका वाले अपने देश की गाय का मांस क्यो नहीं खाते ?

दरअसल बात ये है की यूरोप और अमेरिका की जो गाय है उसको बहुत गंभीर बीमारियाँ है और उनमे एक बीमारी का नाम है Mad cow disease ! इस बीमारी से गाय के सींघ और पैरों मे पस पर जाती और घाव हो जाते हैं सामान्य रूप से जर्सी गायों को ये गंभीर बीमारी रहती है अब इस बीमारी वाली गाय का कोई मांस अगर खाये तो उसको इससे भी ज्यादा गंभीर बीमारियाँ हो सकती है ! इस लिए यूरोप और अमेरिका के लोग आजकल अपने देश की गाय मांस कम खाते हैं भारत की गाय के मांस की उन्होने ज्यादा डिमांड है ! क्योंकि भारत की गायों को ये बीमारी नहीं होती है ! आपको जानकार हैरानी होगी जर्सी गायों को ये बीमारी इस लिए होती है क्योंकि उसको भी मांसाहारी भोजन करवाया जाता है ताकि उनके शरीर मे मांस और ज्यादा बढ़े ! यूरोप और अमेरिका के लोग गाय को मांस के लिए पालते है मांस उनके लिए प्राथमिक है दूध पीने की वहाँ कोई परंपरा नहीं है वो दूध पीना अधिक पसंद भी नहीं करते !!

तो जर्सी गाय को उन्होने पिछले 50 साल मे इतना मोटा बना दिया है की वे भैंस से भी ज्यादा बत्तर हो गई है ! यूरोप की गाय की जो मूल प्रजातियाँ है holstein friesian ,jarsi ये बिलकुल विचित्र किसम की है उनमे गाय का कोई भी गुण नहीं बचा है ! जितने दुर्गुण भैंस मे होते हैं वे सब जर्सी गाय मे दिखाई देते हैं !
उदाहरण के लिए जर्सी गाय को अपने बचे से कोई लगाव नहीं होता और जर्सी गाय अपने बच्चे को कभी पहचानती भी नहीं ! कई बार ऐसा होता है की जर्सी गाय का बच्चा किसी दूसरी जर्सी गाय के साथ चला जाए उसको कोई तकलीफ नहीं !

लेकिन जो भारत की देशी गाय है वो अपने बच्चे से इतना प्रेम करती है इतना लगाव रखती है की अगर उसके बच्चे को किसी ने बुरी नजर से भी देखा तो वो मर डालने के लिए तैयार हो जाती है ! देशी गाय की जो सबसे बड़ी विशेषता है वो ये की वह लाखो की भीड़ मे अपने बच्चे को पहचान लेती है और लाखो की भीड़ मे वो बच्चा अपनी माँ को पहचान लेता हैं ! जर्सी गाय कभी भी पैदल नहीं चल पाती ! चलाने की कोशिश करो तो बैठ जाती है ! जबकि भारतीय गाय की ये विशेषता है
उसे कितने भी ऊंचे पहाड़ पर चढ़ा दो चढ़ती चली जाएगी !

कभी आप हिमालय पर्वत की परिक्रमा करे जितनी ऊंचाई तक मनुष्य जा सकता है उतनी ऊंचाई तक आपको देशी गाय देखने को मिलेगी ! आप ऋषिकेश ,बद्रीनाथ ,आदि जाए जितनी ऊंचाई पर जाए 8000 -9000 फिट तक आपको देशी गाय देखने को मिलेगी ! जर्सी गाय को 10 फिट ऊपर चढ़ाना पड़े तकलीफ आ जाती है
जर्सी गाय का पूरा का पूरा स्वभाव भैंस जैसा है बहुत बार ऐसा होता है जर्सी गाय सड़क पर बैठ जाये और पीछे से लोग होरन बजा बजा कर पागल हो जाते है लेकिन वो नहीं हटती ! क्योंकि हटने के लिए जो i q चाहिए वो उसमे नहीं है !!
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सामान्य रूप से ये जो जर्सी गाय उसके बारे मे यूरोप के लोग ऐसा मानते है की इसको विकसित किया गया है डुकर (सूअर )के जीन से ! भगवान ने गाय सिर्फ भारत को दी है और आपको सुन कर हैरानी होगी ये जितनी भी जर्सी गाय है यूरोप और अमेरिका मे इनका जो वंश बढ़ाया गया है वो सब artificial insemination से बढ़ाया गया और आप सब जानते है artificial insemination मे ये गुंजाइश है की किसी भी जानवर का जीन चाहे घोड़े ,का चाहें सूअर का उसमे डाल सकते है ! तो इसे सूअर से विकसित किया गया है ! और artificial insemination से भी उसको गर्भवती बनाया जाता है ये उनके वहाँ पिछले 50 साल से चल रहा है !!

यूरोप और अमेरिका के भोजन विशेषज्ञ (nutrition expert ) हैं ! उनका कहना है की अगर जर्सी गाय का भोजन करे तो 15 से 20 साल मे कैंसर होने की संभवना ,घुटनो का दर्द तो तुरंत होता है ,sugar,arthritis,ashtma और ऐसे 48 रोग होते है इसलिए उनके देश मे आजकल एक अभियान चल रहा है की अपनी गाय का मांस कम खाओ और भारत की सुरक्षित गाय मांस अधिक खाओ ! इसी लिए यूरोपियन कमीशन ने भारत सरकार के साथ समझोता कर रखा है और हर साल भारत से 72 लाख मीट्रिक टन मांस का निर्यात होता है जिसके लिए 36000 कत्लखाने इस देश मे चल रहें हैं !!
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तो मित्रो उनके देश के लोग ना तो आजकल अपनी गाय का मांस खा रहे हैं और ना ही दूध पी रहें हैं ! और हमारे देश के नेता इतने हरामखोर है की एक तरह तो अपनी गाय का कत्ल करवा रहें हैं और दूसरी तरफ उनकी सूअर जर्सी गाय को भारत मे लाकर हमे बर्बाद करने मे लगे है ! पंजाब और गुजरात से सबसे ज्यादा जर्सी गाय है ! और एक गंभीर बात आपको सुन कर हैरानी होगी भारत की बहुत सी घी बेचने वाली कंपनियाँ बाहर से जर्सी गाय का दूध import करती है !

दूध को दो श्रेणियों मे बांटा गया है A1 और A2 !
A1 जर्सी का A2 भारतीय देशी गाय का !

तो होता ये है की इन कंपनियो को अधिक से अधिक रोज घी बनाना है अब इतनी गाय को संभलना उनका पालण पोषण करना वो सब तो इनसे होता नहीं ! और ना ही इतनी गाय ये फैक्ट्री मे रख सकते है तो ये लोग क्या करते है डैनमार्क आदि देशो से A1 दूध (जर्सी गाय ) का मँगवाते है powder (सूखा दूध )के रूप मे ! उनसे घी बनाकर हम सबको बेच रहें है ! और हम सबकी मजबूरी ये है की आप इनके खिलाफ कुछ कर नहीं सकते क्योंकि भारत मे कोई ऐसा कानून नहीं बना जो ये कहता है की जर्सी गाय का दूध A1 नहीं पीना चाहिए ! अगर कानून होगा तो ही आप कुछ करोगे ना ? यहाँ A1 – को जाँचने की लैब तक नहीं ! नेता देश बेचने मे मस्त हैं
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तो आप सबसे निवेदन है की आप देसी गाय का ही दूध पिये उसी के गोबर से राजीव भाई द्वारा बताए फार्मूले से खाद बनाए और खेती करे ! देशी गाय की पहचान हमने ऊपर बताई थी की उसकी पीठ पर मोटा सा हम्प होता है ! दरअसल ये हम्प ही सूर्य से कुछ अलग प्रकार की तिरंगे लेता है वही उसके दूध ,मूत्र और गोबर को पवित्र बनाती है जिससे उसमे इतने गुण है ! गौ माता सबसे पहले समुन्द्र मंथन से निकली थी जिसे कामधेनु कहते है गौ माता को वरदान है की इसके शरीर से निकली को भी वस्तु बेकार नहीं जाएगी ! दूध ,हम पी लेते है ,मूत्र से ओषधि बनती है ,गोबर से खेती होती है ! और गोबर गैस गाड़ी चलती है , बिजली बनती है ! सूर्य से जो किरणे इसके शरीर मे आती है उसी कारण इसे दूध मे स्वर्ण गुण आता है और इसके दूध का रंग स्वर्ण (सोने जैसा होता है ) ! और गाय के दूध से 1 ग्राम भी कोलोस्ट्रोल नहीं बढ़ता !

कल से ही देशी गाय का दूध पिये अपने दूध वाले भाई से पूछे वो किस गाय का दूध लाकर आपको दे रहा है (वैसे बहुत से दूध वालों को देशी -जर्सी गाय का अंतर नहीं पता होगा ) आप बता दीजिये दूध देशी गाय का ही पिये ! और घी भी देशी गाय का ही खाएं !! गाय के घी के बारे मे अधिक जानकारी के लिए ये जान लीजिये !

गाय का घी मुख्य रूप से 2 तरह का है एक खाने वाला घी है और दूसरा पंचग्व्या नाक मे डालकर इलाज करने वाला ! ( पंचग्व्या घी की लागत कम होती है क्योंकि 2 -2 बूंद नाक मे या नाभि मे पड़ता है 48 रोग ठीक करता है ( 8 से 10 हजार रूपये लीटर बिकता है ) लेकिन 10 ML ही महीना चल जाता है ! इसको असली विधि जो आयुर्वेद मे लिखी उसी ढंग से बनाने वाले भारत मे ना मात्र लोग है !
एक गुजरात मे भाई है dhruv dave जी वैसे वो सबको नहीं बेचते केवल रोगी को ही देते हैं लेकिन फिर भी कभी एक बार इस्तेमाल करने की इच्छा हो तो आप email से संपर्क कर सकते हैं [email protected] अगर उत्पादन मे हुआ तो शायद आपको मिल जाएँ !

आयुर्वेद मे खाने वाला गाय के दूध का घी निकालने की जो विधि लिखी है उस विधि से आप घी निकले तो आपको 1200 से 2000 रुपए किलो पड़ेगा ! क्योकि 1 किलो घी के लिए 25 से 30 लीटर दूध लग जाता है ! महंगा होने का कारण ये भी है की देशी गाय की संख्या काम होती जा रही है कत्ल बहुत हो रहा है वैसे तो यही घी सबसे बढ़िया है ! लेकिन एक दूसरे ढंग से भी आजकल निकालने लग गए हैं ! जिससे दूध से सीधा क्रीम निकालकर घी बनाया जाता है ! अब समस्या ये है की लगभग सभी कंपनियाँ या तो भैंस का घी बेचती है या गाय का घी बोलकर जर्सी का बेच रही है !

आपको अगर घी खाना ही है तो भारत की सबसे बड़ी गौशाला – विश्व की भी सबसे बढ़ी गौशाला वो है राजस्थान मे उसका नाम है पथमेढ़ा गौ शाला ! उनका घी खा सकते हैं पथमेढ़ा गौशाला मे 3 लाख देशी गाय है ! इनके घी की सबसे बड़ी विशेषता है ये है की ये देशी गाय का घी ही बेचते हैं ! बस अंतर ये है की यह क्रीम वाले ढंग से निकाला बनाया जाता है लेकिन फिर भी भैंस और जर्सी सूअर के घी की तुलना मे बहुत बहुत बढ़िया है ! लेकिन इसका मूल्य साधारण घी से थोड़ा ज्यादा है ये 1 लीटर 600 रूपये मे उपलब्ध है ! भगवान की अगर आप पर आर्थिक रूप से ज्यादा कृपा तो आप देशी गाय ही घी खाएं !! कम खा लीजिये लेकिन जर्सी का कभी मत खाएं !! और दूध भी हमेशा देशी गाय का ही पिये !

और अंत मे एक और बात जान लीजिये अब इन विदेशी लोगो को भारत की गाय की महत्ता का अहसास होने लगा है आपको जानकर हैरानी होगी भारतीय नस्ल की सबसे बढ़िया गाय( गीर गाय ) को जर्मनी वाले अपने देश मे ले जाकर इनका वंश आगे बढ़ाकर 2 लाख डालर (लगभग 1 करोड़ की एक गाय बेच रहें है !
जबकि भारत मे ये गीर गाय सिर्फ 5000 ही रह गई है !! तो मित्रो सबसे पहला कार्य अगर आप देश के लिए करना चाहते हैं तो गौ रक्षा करें गौ रक्षा ही भारत रक्षा है !!

आपने पूरी पोस्ट पढ़ी बहुत बहुत धन्यवाद !
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अमर बलिदानी राजीव दीक्षित जी की जय !
जय गौ माता जय भारत माता !

hindu holy books !

मित्रो बहुत कम लोग जानते है की हमारी बहुत सी धार्मिक किताबें,शास्त्र और इतिहास के साथ अंग्रेज़ो ने बहुत छेड़खानी करी है ! आपको सुन कर हैरानी होगी भारत मे एक मूल प्रति है मनुसमृति की जो हजारो वर्षो से आई है और एक मनुस्मृति अंग्रेज़ो ने लिखवाई है ! और अंग्रेज़ो ने इसको लिखवाने मे मैक्स मुलर की मदद ली थी मैक्स मुलर एक जर्मन विद्वान था जिसको संस्कृति बहुत अच्छे से आती थी उसको कहा गया की तुम भारत के शास्त्रो को पढ़ो और पढ़ कर हमको बताओ की उनमे क्या है फिर जरूरत पढ़ने पर इसमे फेरबदल करेंगे !

तब मैक्स मुलर ने मनुस्मृति का अनुवाद किया पहले जर्मन मे किया फिर अँग्रेजी मे किया तब अंग्रेज़ो को समझ आया की मनुस्मृति तो भारत की न्यायव्यवस्था की सबसे बड़ी पुस्तक है और भारत की न्याय व्यवस्था का आधार है ! तो उन्होने मनुसमृति मे ऐसे विक्षेप डलवा दिये ताकि भारत वासियो को भ्रमाया जा सके और उनको गलत रास्ते पर चलाया जा सके ! उनको मनुस्मृति के प्रति बहुत ज्यादा नीचाई की भावना पैदा हो इस तरह के विक्षेप डलवा दिये !

ये विक्षेप केवल मनु स्मृति मे नहीं डाले गए बल्कि बहुत सारे अन्य ग्रंथो मे डाले गए और अंग्रेज़ो की बहुत बड़ी टीम थी जो इस कार्य मे लगी हुई थी कोई साधारण अंग्रेज़ो ने ये काम नहीं किया था! विलियम हंटर नाम का अंग्रेज़ हुआ करता था जिसने सबसे ज्यादा भारत के इतिहास मे विकृति डाली सबसे ज्यादा भारत के शास्त्रो के विकृत किया ! जिसने सबसे ज्यादा भारत के पुराने ऋषि ,मुनियो के आत्म वचनो को बिलकुल उल्टा करके बताया !

और ये सब वो कैसे कर पाया ? वो ये कि विलियम हंटर अंग्रेज़ो बहुत अच्छी जानता था और उसके साथ साथ उसको संस्कृत भी आती थी ! क्योंकि भारतीय मूल ग्रंथ संस्कृत मे है तो वो उनको पढ़ लेता था और फिर अंग्रेजी मे कहाँ कहाँ उसको विकृति कर बनाना है वो कर लेता था ! विलियम हंटर की पूरी टीम थी जो इस कार्य मे लगी थी जिसको कहा गया विलियम हंटर कमीशन !

विलियम हंटर कमीशन की रिपोर्ट के बारे मे बात की जाए तो घंटो घंटो उसी मे निकल जाए हजारो पन्नो मे उन्होने ने रिपोर्ट बनाकर उन्होने ने ये बताया है कि हमने भारत के किस किस विष्य मे किस किस शस्त्र मे क्या क्या परिवर्तन कर दिये है ये उसने अँग्रेजी संसद को भेंट किया था और फिर उस पर बहस हुई थी तो अंग्रेज़ो ने अपने देश मे ऐसे बहुत सारे विद्वानो को तैयार करके भारत के शास्त्रो मे विक्षेपन करवाया बहुत कुछ ऐसी बातें भर दी उसमे जो की विश्वास करने लायक नहीं है तर्क पर कहीं ठहरती नहीं है और सूचना के आधार पर बिलकुल गलत हैं !!
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आर्य बाहर से आए उन्होने भारतीय संस्कृति को खत्म कर दिया हमारे पूर्वज गौ मांस खाते थे !ना जाने ऐसी हजारो हजारों बातें और संस्कृत के शब्दो का गलत अर्थ निकाल कर हमारे शास्त्रो मे इन अंग्रेज़ो द्वारा भर दिया गया जो आज भी हमको जानबूझ कर पढ़ाया जा रहा है ताकि हम गुमराह होते रहे हम हिन्दू अपनी अपनी जातियो मे ऊंच -नीच करते ! और हमारे मन हमारी ,संस्कृति ,सभ्यता के प्रति गलत भावना पैदा हो !!

तो मित्रो अंत आपसे निवेदन है को भी भारतीय ग्रंथ ,धार्मिक पुस्तक ,शास्त्र पढ़ें तो ध्यान रहे वो इन अंग्रेज़ो द्वारा छेड़खानी किया हुआ ना हो क्योंकि ज़्यादातर बाजार मे बिक रही किताबें वहीं है जिनमे अंग्रेज़ो ने छेड़खानी करी है !!

पूरी पोस्ट पढ़ी बहुत बहुत धन्यवाद !!
अग्रेजों ने क्या क्या विक्षेपन किये अधिक जानकारी के लिए यहाँ click करें !!

अमर बलिदानी राजीव दीक्षित जी की जय !!
वन्देमातरम

प्रथम हवाई जहाज !

सबसे पहला हवाई जहाज भारत मे बनाया गया था !
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अगर आज किसी को पूछा जाये के सबसे पहला हवाई जाहाज किसने बनाया?
तो ले देके हम सब एक नाम लेते है Write Brothers ने बनाया और उनके नाम से दर्ज है यह अविष्कार| हम बचपन से यह पढ़ते आये है के 17 दिसंबरसन 1903 को अमेरिका के कैरोलिना के समुद्र तट पर Write Brothers ने पहला हवाई जाहाज बना कर उड़ाया जो 120 फिट उड़ा और गिर गया| और उसके बाद फिर आगे हवाई जाहाज की कहानी शुरू होती है|

लेकिन पर अभी दस्तावेज़ मिले है और वो यह बताते है के 1903 से कई साल पहले सन 1895 मे हमारे देश के एक बहुत बड़े विमान वैज्ञानिक ने हवाई जाहाज बनाया और मुंबई के चौपाटी के समुद्रतट पर उड़ाया और वो 1500 फिट ऊपर उड़ा और उसके बाद नीचे आया !

जिस भारतीय वैज्ञानिक ने यह करामात की उनका नाम था “शिवकर बापूजी तलपडे” वे मराठी व्यक्ति थे| मुंबई मे एक छोटा सा इलाका है जिसको चिर बाज़ार कहते है, वहाँ उनका जन्म हुआ और पढ़ाई लिखाई की ! एक गुरु के सान्निध्य मे रहके संस्कृत साहित्य का अध्यन किया| अध्यन करते समय उनकी विमान शास्त्र मे रूचि पैदा हो गयी| आपको जानकर हैरानी होगी की भारत मे तो विमान बनाने पर पूरा एक शस्त्र लिखा गया है उसका नाम है विमानशास्त्र ! और हमारे देश मे विमान शास्त्र के जो सबसे बड़े वैज्ञानिक माने जाते है वो है “महर्षि भरद्वाज” | महर्षि भरद्वाज ने विमान शास्त्र की सबसे पहली पुस्तक लिखी, उस पुस्तक के आधार पर फिर सेकड़ो पुस्तकें लिखी गयी| भारत मे जो पुस्तक उपलब्ध है उसमे सबसे पुरानी पुस्तक 1500 साल पुरानी है और महर्षि भरद्वाज तो उसके भी बहुत साल पहले हुए|

शिवकर बापूजी तलपडे जी के हाथ मे महर्षि भरद्वाज के विमान शास्त्र की पुस्तक लग गयी और इस पुस्तक को आद्योपांत उन्होंने पड़ा| इस पुस्तक के बारे मे तलपडे जी ने कुछ रोचक बातें कहीं है जैसे –

> “इस पुस्तक के आठ अध्याय मे विमान बनाने की तकनिकी का ही वर्णन है”

> “आठ अध्याय मे 100 खंड है जिसमे विमान बनाने की टेक्नोलॉजी का वर्णन है”

> “महर्षि भरद्वाज ने अपनी पूरी पुस्तक मे विमान बनाने के 500 सिद्धांत लिखे है”

एक सिद्धांत (Principle) होता है जिसमे एक इंजन बन जाता है और पूरा विमान बन जाता है, और ऐसे 500 सिद्धांत लिखे है महर्षि भरद्वाज ने !! अर्थात मने 500 तरह के विमान बनाये जा सकते है हर एक सिद्धांत पर|

इस पुस्तक के बारे मे तलपडे जी और लिखते है के –

> “इन 500 सिद्धांतो के 3000 श्लोक है विमान शास्त्र मे”

यह तो (Technology) तकनिकी होती है इसका एक (Process) प्रक्रिया होती है, और हर एक तकनिकी के एक विशेष प्रक्रिया होती है तो महर्षि भरद्वाज ने 32 प्रक्रियाओं का वर्णन किया है| माने 32 तरह से 500 किसम के विमान बनाए जा सकते है मतलब 32 तरीके है 500 तरह के विमान बनाने के; मने एक विमान बनाने के 32 तरीके, 2 विमान बनाने के 32 तरीके; 500 विमान बनाने के 32 तरीके उस पुस्तक ‘विमान शास्त्र’ मे है| 3000 श्लोक है 100 खंड है और 8 अध्याय है| आप सोचिये यह किनता बड़ा ग्रन्थ है!

इस ग्रन्थ को शिवकर बापूजी तलपडे जी ने पड़ा अपनी विद्यार्थी जीवन से पढ़ा , और पढ़ पढ़ कर परिक्षण किये, और परिक्षण करते करते 1895 मे वो सफल हो गए और उन्होंने पहला विमान बना लिया और उसको उड़ा कर भी दिखाया| इस परिक्षण को देखने के लिए भारत के बड़े बड़े लोग गए| हमारे देश के उस समय के एक बड़े व्यक्ति हुआ करते थे ‘महादेव गोविन्द रानाडे’ जो अंग्रेजी न्याय व्यवस्था मे जज की हैसियत से काम किया करते थे मुम्बई हाई कोर्ट मे,! तो रानाडे जी गए उसको देखने के लिए| बड़ोदरा के एक बड़े राजा हुआ करते थे ‘गायकोवाड’ नाम के तो वो गए उसको देखने के लिए| ऐसे बहुत से लोगों के सामने और हजारो साधारण लोगों की उपस्थिति मे शिवकर बापूजी तलपडे ने अपना विमान उड़ाया|

और हैरानी की बात यह थी जिस विमान को उन्होंने उड़ाया उसमे खुद नही बैठे, बिना चालक के उड़ा दिया उसको| मने उस विमान को उड़ाया होगा पर कण्ट्रोल सिस्टम तलपडे जी के हाथ मे है और विमान हवा मे उड़ रहा है और यह घटना 1895 मे हुआ | जबकि बिना चालक के उड़ने वाला विमान 2 -3 साल पहले अमेरिका ने बनाया है जिसे ड्रोन कहते है और भारत मे सन 1895 मे लगभग 110 साल पहले तलपड़े जी ने ये बना दिया था ! और उस विमान को उड़ाते उड़ाते 1500 फिट तक वो लेके गए फिर उसके बाद उन्होंने उसको उतारा, और बहुत स्वकुशल उतारकर विमान को जमीन पर खड़ा कर दिया| माने वो विमान टुटा नही, उसमे आग लगी नही उसके साथ कोई दुर्घटना हुई नही, वो उड़ा 1500 फिट तक गया फिर निचे कुशलता से उतरा और सारी भीड़ ने तलपडे जी को कंधे पर उठा लिया| महाराजा गायकोवाड जी ने उनके लिए इनाम की घोषणा की, एक जागीर उनके लिए घोषणा कर दी और गोविन्द रानाडे जी जो थे उन्होंने घोषणा की, बड़े बड़े लोगों ने घोषनाये ईनाम की घोषनाये की |

तलपडे जी का यह कहना था की मैं ऐसे कई विमान बना सकता हूँ, मुझे पैसे की कुछ जरुरत है, आर्थिक रूप से मेरी अच्छी स्थिति नही है| तो लोगो ने इतना पैसा इकठ्ठा करने की घोषनाये की के आगे उनको कोई जरुरत नही थी लेकिन तभी उनके साथ एक धोखा हुआ| अंग्रेजो की एक कंपनी थी उसका नाम था ‘Ralli Brothers’ वो आयी तलपडे जी के पास और तलपडे जी को कहा यह जो विमान आपने बनाया है इसका ड्राइंग हमें दे दीजिये| तलपडे जी ने कहा की उसका कारण बताइए, तो उन्होंने कहा की हम आपकी मदत करना चाहते है, आपने यह जो अविष्कार किया है इसको सारी दुनिया के सामने लाना चाहते है, आपके पास पैसे की बहुत कमी है, हमारी कंपनी काफी पैसा इस काम मे लगा सकती है, लिहाजा हमारे साथ आप समझोता कर लीजिये, और इस विमान की डिजाईन दे दीजिये|

तलपडे जी भोले भाले सीधे साधे आदमी थे तो वो मान गए और कंपनी के साथ उन्होंने एक समझोता कर लिया| उस समझोते मे Ralli Brothers जो कंपनी थी उसने विमान का जो मोडेल था उनसे ले लिया, ड्राइंग ले ली और डिजाईन ले ली; और उसको ले कर यह कंपनी लन्दन चली गयी और लन्दन जाने के बाद उस समझोते को वो कंपनी भूल गयी| और वो ही ड्रइंग और वो डिजाईन फिर अमेरिका पहुँच गयी| फिर अमेरिका मे Write Brothers के हाथ मे आ गयी फिर Write Brothers ने वो विमान बनाके अपने नाम से सारी दुनिया मे रजिस्टर करा लिया|

तलपडे जी की गलती क्या थी के उनको चालाकी नही आती थी, ज्ञान तो बहुत था उनके पास| राजीव भाई कहते है के भारत मे सबसे बड़ी समस्या 12-15 साल मे उनको जो समझ मे आयी है के “हमको सब ज्ञान आता है, सब तकनिकी आती है, सब आता है पर चालाकी नही आती; वो एक गाना है न ‘सबकुछ सीखा हमने न सीखी होशियारी ’ यह भारतवासी पर बिलकुल फिट है, और यह अंग्रेजो को अमेरिकिओं को कुछ नही आता सिर्फ चालाकी आती है| उनके पास न ज्ञान है न उनके पास कोई आधार है उनको एक हि चीज आती है चालाकी और चालाकी मे वो नंबर 1 है| किसी का दुनिया मे कुछ भी नया मिले वो चालाकी करके अपने पास ले लो और अपने नाम से उसको प्रकाशित कर दो|”

शिवकर बापूजी तलपडे जी के द्वारा 1895 मे बनाया हुअ विमान सारी दुनिया के सामने अब यह घोषित करता है के विमान सबसे पहले अमेरिकी Write Brothers ने बनाया और 1903 मे 17 दिसम्बर को उड़ाया पर इससे 8 साल पहले भारत मे विमान बन जुका था और देश के सामने वो दिखाया जा जुका था|

अब हमें इस बात के लिए लड़ाई करनी है अमेरिकिओं से और यूरोपियन लोगों से के यह तो हमारे नाम ही दर्ज होना चाहिए और Ralli Brothers कंपनी ने जो बैमानी और बदमाशी की थी समझोते के बाद उसका उस कंपनी को हरजाना देना चाहिए क्योकि समझोता करने के बाद बैमानी की थी उन्होंने|

राजीव भाई आगे कहते है Ralli Brothers कंपनी से धोखा खाने के कुछ दिन बाद तलपडे जी की मृत्यु हो गयी और उनकी मृत्यु के बाद सारी कहानी ख़तम हो गयी| उनकी तो मृत्यु के बारे मे भी शंका है के उनकी हत्या की गयी और दर्ज कर दिया गया के उनकी मृत्यु हो गयी; और ऐसे व्यक्ति की हत्या करना बहुत स्वभाबिक है के जिसका नाम दुनिया मे इतना बड़ा अविष्कार होने की संभावना हो| तो अगर हम फिर उस पुराने दस्तावेज खोले ढूंढें उस फाइल को, फिर से देखें तो पता चल जायेगा और दूध का दूध और पानी का पनी सारा सच दुनिया के सामने आ जायेगा|

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वन्देमातरम !
अमर बलिदानी राजीव दीक्षित जी की जय !

बुखार ,मेलेरिया !

मित्रो ब्रेन मलेरिया, टाइफाईड, चिकुनगुनिया, डेंगू, स्वाइन फ्लू, इन्सेफेलाइटिस, माता व अन्य प्रकार के बुखार का इलाज पढ़े।

मित्रो बहुत सारे बुखार तेजी से भारत देश मे फैल रहे है । करोडो की संख्या मे लोग इससे प्रभावित हो रहे है। और लाखों लोग मर रहे है। हमेशा की तरह सरकार हाथ पर हाथ रखे तमाशा देख रही है।

श्री राजीव दीक्षित जी ने गाँव-गाँव घूम-घूम कर आयुर्वेदिक दवा से लाखो लोगो को बचाया है।। और ये दवा बनानी कितनी आसान है।

20 पत्ते तुलसी, नीम की गिलोई का सत् 5gm, 10gm सोंठ (सुखी अदरक), 10 छोटी पीपर के टुकड़े सब आपके घर मे आसानी से उपलब्ध हो जाती है। एक जगह पर कूटने के बाद एक गिलास पानी में उबलकर काढ़ा बनाना है ठन्डा होने के बाद में सुबह, दोपहर और श्याम दिन में तीन बार पीना चाहिए।

नीम गिलोई- इसका जूस डेंगू रोग में श्वेत रक्त कणिकाए, प्लेटलेट्स कम होने पर तुरंत बढ़ाने में ये गिलोय ज्यादा बहुत काम आता है।

इनके प्रयोग से आप रोगी की जान बचा सकते हैं। मात्र इसकी 3 खुराक से राजीव भाई ने लाखों लोगो को बुखार से मरने से बचाया था ।।
अपना अनमोल जीवन और पैसा बचाइए ।

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गेंगरीन !

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कुछ चोट लग जाती है, और कुछ छोटे बहुत गंभीर हो जाती है। जैसे कोई डाईबेटिक पेशेंट है चोट लग गयी तो उसका सारा दुनिया जहां एक ही जगह है, क्योंकि जल्दी ठीक ही नही होता है। और उसके लिए कितना भी चेष्टा करे करे डॉक्टर हर बार उसको सफलता नही मिलता है। और अंत में वो चोट धीरे धीरे गैंग्रीन (अंग का सड़ जाना) में कन्वर्ट हो जाती है। और फिर काटना पड़ता है, उतने हिस्से को शारीर से निकालना पड़ता है। ऐसी परिस्तिथि में एक औषधि है जो गैंग्रीन को भी ठीक करती है और Osteomyelitis (अस्थिमज्जा का प्रदाह) को भी ठीक करती है।
गैंग्रीन माने अंग का सड़ जाना, जहाँ पे नए कोशिका विकसित नही होते। न तो मांस में और न ही हड्डी में और सब पुराने कोशिका मरते चले जाते हैं। इसीका एक छोटा भाई है Osteomyelitis इसमें भी कोशिका कभी पुनर्जीवित नही होते, जिस हिस्से में होता है उहाँ बहुत बड़ा घाव हो जाता है और वो ऐसा सड़ता है के डॉक्टर कहता है की इसको काट के ही निकलना है और कोई दूसरा उपाय नही है।। ऐसे परिस्तिथि में जहां शारीर का कोई अंग काटना पड़ जाता हो या पड़ने की संभावना हो, घाव बहुत हो गया हो उसके लिए आप एक औषधि अपने घर में तैयार कर सकते है।

औषधि है देशी गाय का मूत्र (सूती के आट परत कपड़ो में चन कर) , हल्दी और गेंदे का फुल। गेंदे के फुल की पिला या नारंगी पंखरियाँ निकलना है, फिर उसमे हल्दी डालके गाय मूत्र डालके उसकी चटनी बनानी है। अब चोट कितना बड़ा है उसकी साइज़ के हिसाब से गेंदे के फुल की संख्या तै होगी, माने चोट छोटे एरिया में है तो एक फुल, बड़े है तो दो, तिन, चार अंदाज़े से लेना है। इसकी चटनी बनाके इस चटनी को लगाना है जहाँ पर भी बाहर से खुली हुई चोट है जिससे खून निकल जुका है और ठीक नही हो रहा। कितनी भी दावा खा रहे है पर ठीक नही हो रहा, ठीक न होने का एक कारण तो है डाईबेटिस दूसरा कोई जिनगत कारण भी हो सकते है। इसको दिन में कम से कम दो बार लगाना है जैसे सुबह लगाके उसके ऊपर रुई पट्टी बांध दीजिये ताकि उसका असर बॉडी पे रहे; और शाम को जब दुबारा लगायेंगे तो पहले वाला धोना पड़ेगा टी इसको गोमूत्र से ही धोना है डेटोल जैसो का प्रयोग मत करिए, गाय के मूत्र को डेटोल की तरह प्रयोग करे। धोने के बाद फिर से चटनी लगा दे। फिर अगले दिन सुबह कर दीजिये।

यह इतना प्रभावशाली है के आप सोच नही सकते देखेंगे तो चमत्कार जैसा लगेगा। इस औषधि को हमेशा ताजा बनाके लगाना है। किसीका भी जखम किसी भी औषधि से ठीक नही हो रहा है तो ये लगाइए। जो सोराइसिस गिला है जिसमे खून भी निकलता है, पस भी निकलता है उसको यह औषधि पूर्णरूप से ठीक कर देता है। अकसर यह एक्सीडेंट के केसेस में खूब प्रोयोग होता है क्योंकि ये लगाते ही खून बांध हो जाता है। ऑपरेशन का कोई भी घाव के लिए भी यह सबसे अच्छा औषधि है। गिला एक्जीमा में यह औषधि बहुत काम करता है, जले हुए जखम में भी काम करता है।

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काला कोर्ट

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हिंदुस्तान की न्याय व्यवस्था में काम करने वाले जो एडवोकेट्स मित्र है उनसे माफ़ी मांगते हुए आप सबसे ये पूछता हूँ के क्या आप जानते है यह काला कोट पेहेनके अदालत में क्यों जाते है ? क्या काले को छोड़ के दूसरा रंग नही है भारत में ? सफ़ेद नही है नीला नही है पिला नही है हरा नही है ?? और कोई रंग ही नही है कला ही कोट पहनना है । वो भी उस देश की न्यायपालिका में जहाँ तापमान 45 डिग्री हो। तो 45 तापमान जिस देशमे रहता हो उहाँ के वोकिल काला कोट पेहेनके बहेस करे, तो बहस के समय जो पसीना आता है वो और गर्मी के कारन जो पसीना आता है वो, तरबतर होते जाये और उनके कोट पर पसीने से सफ़ेद सफ़ेद दाग पड़ जाये पीछे कोलार पर और कोट को उतारते ही इतनी बदबू आये की कोई तिन मीटर दूर खिसक जाये लेकिन फिर भी कोट का रंग नही बदलेंगे। क्योंकि ये अंग्रेजो का दिया हुआ है।

आपको मलिम है अंग्रेजो की अदालत में काला कोट पहनके न्यायपालिका के लोग बैठा करते थे। और उनके यहाँ स्वाभाविक है क्योंकि उनके यहाँ नुन्यतम -40 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान होता है जो भयंकर ठण्ड है । तो इतनी ठण्ड वाली देश में काला कोट ही पेहेनना पड़ेगा कियोंकि वो गर्मी देता है। ऊष्मा का अच्छा अवशोषक है। अन्दर की गर्मी को बाहर नही निकलने देता और बाहर से गर्मी को खिंच के अन्दर डालता है । इसीलिए ठण्ड वाले देश के लोग काला कोट पेहेनके अदालत में बहस करे तो समझ में आता है पर हिंदुस्तान के गरम देश के लोग काला कोट पेहेनके बहस करे !!!!!! 1947 के पहले होता था समझमे आता है पर 1947 के बाद भी चल रहा है ??? हमारी बार काउन्सिल कोइत्नि समझ नही है क्या? के इस छोटी सी बात को ठीक कर ले बदल ले । सुप्रीम कोर्ट की बार काउन्सिल है हाई कोर्ट की बार काउन्सिल है डिस्ट्रिक्ट कोर्ट की बार काउन्सिल है सभी बार काउन्सिल मिलके एक मिनट में फैसला कर सकते है की काल से हम ये काला कोर्ट नही पहनेंगे।

वो तो भला हो हिंदुस्तान में कुछ लोगों का हमारे देश पहले अंग्रेज न्यायाधीश हुआ करते थे तो सर पे टोपा पेहेनके बैठते थे, उसमे नकली बाल होते थे। आज़ादी के बाद 40 -५० साल तक टोपा लगा कर यहाँ बहुतसारे जज बैठते रहे है इस देश की अदालत में। अभी यहाँ क्या विचित्रता है के काला कोट पेहेन लिया ऊपर से काला पंट पेहेन लिया, बो लगा लिया सब एकदम टाइट कर दिया हवा अन्दर बिलकुल न जाये फिर मांग करते है के सभी कोट में एयर कंडीशनर होना चाहिए!! ये कोट उतर के फेंक दो न एयर कंडीशन की जरुरत क्या है ? और उसके ऊपर एक गाउन और लाद लेते है वो निचे तक लहंगा फैलता हुआ। ऐसी विचित्रताए इस देश में आज़ादी के ६० साल बाद भी दिखाई दे रहा है।

अंग्रेजो की गुलामी की एक भी निशानी को आज़ादी के 65 साल में हमने मिटाया नही, सबको संभाल के रखा है।

nestle ke products

9 साल पहले जब भाई राजीव दीक्षित जी ने कहा कि ये विदेशी कंपनी nestle
maggi मे सूअर के मास का रस मिलाती है ! तो लोगो ने उन पर बहुत बकवास की
!
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आज सब आपकी आंखो के सामने हैं ! कभी इनके उत्पादो मे घोड़े का मांस मिलता
है और कभी इनकी kitkat चाकलेट मे गाय के बछड़े मांस !!

kitkat चाकलेट मे गाय के बछड़े मांस वाली खबर भी अखबार मे आई थी उसका link ये हैं

http://www.facebook.com/photo.php?fbid=450624644978551&set=a.137060829668269.14827.100000930577658&type=3&theater