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उद्देश्य

1. चिकित्सा हेतु व्यक्ति को स्वावलंबी बनाना।

2. सहज, सरल, सस्ती, सर्वत्र  उपलब्ध, सनातन सिद्धान्तों पर आधारित, पूर्णतः स्वावलंबी, दुश्प्रभावों से रहित। अहिंसात्मक, मौलिक, निर्दोष, प्रभावशाली चिकित्सा, पद्धतियों से जन साधारण, को परिचित कराना।

3. विज्ञान क्या?  वैज्ञानिक चिकित्सा कौनसी?  भौतिक विज्ञान और स्वास्थ्य विज्ञान में क्या अंतर?  आदि प्रश्न पर चिंतन करना।

4. स्वस्थ कौन?  अच्छे स्वास्थ्य के माप दण्ड क्या?  रोग क्यों कब और कैसे? सही निदान और उपचार कौनसा?  शरीर, मन एवं आत्मा में किसको प्राथमिकता आवश्यक? क्या स्वस्थ रहने हेतु शरीर विज्ञान की विस्तृत जानकारी आवश्यक है? शरीर की प्रतिरोधक क्षमता क्यों कम होती है?  जैसे स्वास्थ्य से संबंधित प्रश्नो का प्रकृति के सनातन सिद्धान्तों के अनुरूप सम्यक् समाधान ढूढ़ना।

5. क्षणिक राहत के नाम पर ऐसे उपचारों से यथा संभव बचना जो प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष हिंसा को बढ़ावा देते हैं और व्यक्ति को जीवन पर्यन्त दवाओं का दास बनाए रखते हैं।  जिनका प्रभावशाली विकल्प उपलब्ध हो।

6. स्वास्थ्य हेतु स्वयं की क्षमताओं का विवेक पूर्वक सजगता के साथ कैसे सदुपयोग करें?

7. चिकित्सा में हिंसा से स्वयं एवं दूसरों को बचाना।

8. मौलिक चिकित्सा पद्धतियों को वैकल्पिक चिकित्सा समझने वालों की भ्रान्त धारणाएं दूर करना।

9. रोगी को चिकित्सक से निदान और उपचार की शंकाओं के समाधान हेतु सम्यक् संवाद के लिए प्रेरित करना।

10. चिकित्सा में होने वाले दुष्प्रभावों की उपेक्षा के प्रति जनसाधारण को सचेत करना।

11. चिकित्सक के प्रति सम्यक् श्रद्धा आवश्यक परन्तु अंध श्रद्धा खतरनाक।