मानव की जीवन-यात्रा इस शरीर रूपी वाहन द्वारा ही सम्पन्न होती है। यदि यह वाहन अच्छा और शक्तिशाली होगा तथा जीवन-यात्रा के दौरान इसकी उचित देखभाल की जाती रहेगी एवं क्षमता से ज्यादा भार डाल कर इसका दुरुपयोग नहीं किया जाएगा तो यह अपनी यात्रा निश्चित अवधि तक निर्विध्न रूप से पूर्ण करेगा और इसमें यात्रा करने वाला मानव अधिक सुखद व लम्बी यात्रा कर सकेगा, अन्यथा एक खटाला गाड़ी में बैठकर दुःखद व बाधापूर्ण यात्रा करनी पड़ेगी और बीच राह में ही गाड़ी के खराब हो जाने से आगे की यात्रा के लिए असमय ही नया शरीर रूपी वाहन खोजना पड़ जाएगा।
स्वस्थ जीवन मानव की सर्वोच्च आवश्यकता है। अच्छे स्वास्थ्य के बिना मानव न तो शान्त, सुखी, आनन्दित जीवन-यापन कर सकता है और न ही अपने लक्ष्यों की पूर्ति आसानी से कर सकता है। स्वास्थ्य तन, मन और आत्मा के एक सन्तुलित, अनुशासित, समन्वय का प्रतीक है, कोई ऐसी वस्तु नहीं जिसे बाजार से खरीदा जा सके अथवा उधार लिया जा सके या चुराया जा सके। प्रत्येक मानव दीर्घायु बन आजीवन स्वस्थ रहना चाहता है, परन्तु चाहने मात्र से तो स्वास्थ्य प्राप्त नहीं हो जाता। यदि हमें स्वस्थ रहना है तो रोग पैदा करने वाले कारणों से अपने आपको दूर रखना होगा।