प्रायः ऐसा प्रचारित किया जाता है कि आधुनिक समझी जाने वाली ऐलोपैथी चिकित्सा अत्यधिक प्रभावशाली है। क्या ऐसा कथन सत्य पर आधारित है? अगर यह चिकित्सा प्रभावशाली होती तो दवा लेते ही उपचार हो जाता। रोगियों को लम्बे समय तक अस्पतालों और डाँक्टरों के चक्कर नहीं काटने पड़ते। बहुत से रोगों में जिन्दगी भर दवायें खाने की आवश्यकता नहीं होती। अंग्रेजी चिकित्सा तो रोगों में राहत पहुँचाती है, दुष्प्रभाव अधिक होते हैं, उपचार गौण होते हैं। यह चिकित्सा पद्धति अहिंसा की उपेक्षा करती है। शरीर की प्रतिकारात्मक क्षमतायें घटाती है। इसी कारण डाँक्टरों और अस्पतालों की संख्या बढ़ने के बावजूद रोगियों की संख्या में बहुत ज्यादा वृद्धि हो रही है। नित्य नये रोग उत्पन्न हो रहे हैं। राहत उपचार का महत्वपूर्ण भाग हो सकता है, परन्तु राहत को ही उपचार मानने से उपचार कैसे प्रभावशाली समझा जा सकता है?